India's growth is jobless and to revert it Niti Ayog has comeup with new policy. Basic is to replace chinese aging population.
#Dainik_Bhaskar
नीति आयोग की तीन साल की कार्ययोजना में बेरोजगारी से ज्यादा अर्द्धबेरोजगारी को चिंता का विषय बताकर विकास का नया मुहावरा पेश किया गया है। इस मुहावरे की सफलता तो नई नीति के क्रियान्वयन पर निर्भर करेगी लेकिन, रोचक यह है कि इसमें यूरोप-अमेरिका की जगह चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे एशियाई देशों के मॉडल को अनुकरणीय बताया गया है।
- सरकार के इस नए विचार केंद्र को विपक्षी दलों और उसके विचारकों का यह जुमला बेकार लगता है कि मौजूदा अर्थव्यवस्था में रोजगारहीन वृद्धि हो रही है।
- इसके जवाब में नीति आयोग का कहना है कि राष्ट्रीय साख्यिकी संगठन तो लंबे समय से बेरोजगारी की दर को 3.4 प्रतिशत के निम्न स्तर पर स्थिर मान रही है।
- अगर इस साल बेरोजगारी वृद्धि दर में मामूली फर्क आएगा तो अगले साल भी यह 1.8 करोड़ तक ही जाने वाली है। आयोग इसे लेकर अपनी नींद हराम नहीं कर रहा है बल्कि वह इस बात से बेचैन है कि एक व्यक्ति का काम चार-चार लोग कर रहे हैं और उससे उत्पादकता घट रही है।
Model to follow: Make in india
आयोग मानता है कि इसका इलाज वस्तुओं का आयात नहीं, बल्कि इस बात में है कि हम मेक इन इंडिया पर नए रूप में जोर दें और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित करके उन्हें तटवर्ती आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय करें। इस सक्रियता से स्थानीय माहौल भी सुधरेगा और छोटी और मझोले स्तर की देशी कंपनियों में वृद्धि होगी।
China’s replacement?
आयोग को उम्मीद है कि चीन जैसे देशों में बुजुर्ग आबादी बढ़ने के साथ वहां की कंपनियां सस्ते श्रम की तलाश में दूसरे देशों की ओर पलायन कर रही हैं और भारत इनका लाभ उठाकर अच्छे वेतन वाली नौकरियां भी पैदा कर सकता है और उत्पादकता भी बढ़ा सकता है।
संभव है आयोग का यह नया मुहावरा उत्पादकता और रोजगार बढ़ाए और कुछ हाई प्रोफाइल नौकरियां भी पैदा करे। उनसे उत्पादकता के क्षेत्र में बेहतरीन प्रतिभाओं का आगमन हो जो तकनीकी पक्षों के अलावा प्रबंधकीय कौशल में भी दक्ष होंगी। इसके बावजूद भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश में कानून व्यवस्था बेहतर हो और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का स्वस्थ माहौल बने। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के किसी हिस्से में होने वाली अशांति राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय माहौल पर भी असर डालती है। सरकार को यह भी देखना होगा कि बड़ी नौकरियों से पैदा होने वाली असमानता का क्या समाधान किया जाए।